अतिप्राचीन चमत्कारी सिद्धबली नाथ धाम बलबहरा मे भक्तों की उमड़ रही भीड़

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अतिप्राचीन चमत्कारी सिद्धबली नाथ धाम बलबहरा मे भक्तों की उमड़ रही भीड़

अघोरी संत कपाली बाबा के आर्शीवाद के लिए पहुंच रहे श्रद्धालु

मंदिर के दो कुण्ड रहस्यमयी,एक से पेट रोग तो दूसरे से चर्मरोग की छुट्टी

 

बुढ़ार/ जिला मुख्यालय शहडोल से लगभग 40 किलो मीटर की दूरी पर स्थित सिद्धबलि नाथ धाम बलबहरा की इन दिनों हर जगह चर्चा जोरों पर है कारण कि यहां विराजमान श्री हनुमान जी महाराज से भक्तों द्वारा मांगी गई हर मुराद पूरी हो जाती है।हालांकि वर्तमान मे मंदिर की स्थिति ठीक नही थी। उक्त मंदिर की कायाकल्प के लिए ग्रामीणों ने अघोरपीठ हरिश्चंद्र घाट काशी के पीठाधीश्वर अवधूत उग्र चण्डेश्वर कपाली बाबा को निमंत्रित किया है। निमंत्रण स्वीकार कर कपाली बाबा बलबहरा पहुंचे हैं जो निरंतर मंदिर की प्रगति व साज सज्जा पर काम कर रहे हैं। सिद्धबलि नाथ धाम मे कई मंदिर हैं जिनमे महादेव मंदिर की शिवलिंग विकृत हो जाने पर बाबाजी द्वारा जयपुर से शिवलिंग मंगवाकर 12 मई को मंदिर परिसर मे शिवलिंग की विधि विधान से पुर्नस्थापना कराई गई जिसमे बलबहरा समेत आसपास के सैकड़ों ग्रामों के भक्त शामिल हुये। शुक्रवार की सुबह से शुरू हुये शिवलिंग की पुर्नस्थापना पूरे विधि विधान से देर शाम तक चलती रही जहां स्वयं कपाली बाबा जी ने शिवलिंग को स्थापित किया वही पूरे मंदिर परिसर मे मंदिर की सुंदरता के लिए वृहद कार्य कराया गया।

यहां हर मुराद होती है पूरी

ज्ञात हो कि सैकड़ों वर्ष पुराने स्वयंसिद्ध सिद्धबलि नाथ धाम बलबहरा मंदिर मे हनुमान जी से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। बता दें कि बजरंगबली महाराज का यह मंदिर न सिर्फ चमत्कारी हैं बल्कि दिव्य भी है, जिनके दर्शन करने मात्र से ही सारे कष्ट टल जाते हैं। विराजित बजरंगबली की प्रतिमा के बारे मे कपाली बाबा बताते हैं कि सिद्धबली जी की प्रतिमा सिर्फ प्रतिमा नही है बल्कि सजीव मूर्ति है जिनसे सच्चे मन से मांग गई मुराद पूरी होती है। मंदिर परिसर मे भगवान रामजी, श्रीमती सीता माता व लक्ष्मणजी के साथ विराजित हैं वही भगवान राम के भक्त श्री हनुमान मंदिर के साथ ही श्री महादेव मंदिर भी सजीव रूप मे विराजमान हैं।

वर्षों पूर्व प्रकट हुये थे बालाजी महाराज

ज्ञातव्य है कि सैकड़ों वर्ष पूर्व मंदिर के ठीक पीछे बगीचे मे हनुमान जी प्रकट हुये थे जिसकी जानकारी लगते ही ग्रामवासियों ने बालाजी महाराज का पूजन वंदन प्रारंभ किया। इस दौरान पूजा पाठ का सही तरीका मालूम नही होने पर पूर्व मे साधु संतो को निमंत्रित करते हुये उन्हे यह दायित्व सौंपा गया, लेकिन समय के साथ साथ वे साधु संत स्वर्गवासी हो गये और अब मंदिर की व्यवस्था तथा पूजा पाठ की जिम्मेदारी स्वयं कपाली बाबाजी ने अपने हाथो मे ले ली है। वर्तमान मे कपाली बाबाजी के मार्गदर्शन मे यहां विराजित श्रीराम मंदिर, श्री हनुमान मंदिर तथा श्री महादेव मंदिर की प्रधान पुजारी दशरथ प्रसाद तिवारी विधि विधान से पूजा कर रहे हैं।

रहस्यमयी है हनुमत व देवी कुण्ड

बलबहरा स्थित हनुमान मंदिर के ठीक पीछे दो कुण्ड हनुमत व शक्ति कुण्ड है। जिसके बारे मे कपाली बाबा जी ने विस्तार से जानकारी देते हुये बताया कि यह कुण्ड कब और किसने बनाया यह किसी को ज्ञात नही परंतु ऐसी मान्यता है कि हनुमत कुण्ड का जल ग्रहण करने से व्यक्ति पेट संबंधी बीमारी से हमेशा के लिए दूर हो जाता है वही शक्ति कुण्ड के जल से स्नान करने पर चर्मरोग दूर भाग जाता है, परंतु शक्ति कुण्ड के जल का प्रयोग पीने तथा हनुमत कुण्ड के जल का प्रयोग स्नान के लिए कदापि नही होना चाहिये वरना दुष्प्रभाव भी हो सकता है।

बालाजी महाराज का वैभव बनाये रखना मुख्य उद्देश्य-कपाली बाबा

हनुमान मंदिर के संबंध मे अघोरपीठ हरिश्चंद्र घाट काशी के पीठाधीश्वर अवधूत उग्र चण्डेश्वर कपाली बाबा जी ने बताया कि हमारा मुख्य उद्देश्य यहां विराजित चमत्कारी सजीव प्रतिमा श्री हनुमान जी महाराज की विधि विधान से पूजन तथा उनके वैभव को बनाये रखना ही हमारा उद्देश्य है। ग्रामीणों के निमंत्रण हम इसी उद्देश्य से यहां आये हैं जिसमे ग्रामवासियों समेत क्षेत्र के लोग भी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। ज्ञात हो कि जब से कपाली बाबाजी यहां पधारे हैं तब से नास्तिक भी मंदिर पहुंचकर माथा टेककर आर्शीवाद की कामना कर रहे हैं वही दूर दराज से भी लोगों का दिन व रात आना जाना लगा रहता है वही बाबाजी के प्रवचन को सुनने भी लोगों की भीड़ यहां पहुंच रही है। भक्तों की भीड़ मे अधिकांश श्रद्धालु किसी न किसी समस्या से बाबाजी को अवगत करा उनके निराकरण की प्रार्थना करते हैं तो कृपालु श्रीराम, हनुमान जी व महादेव जी से दयालु कपाली बाबाजी जी अर्जी लगाकर समस्याग्रस्त लोगों को उचित सलाह व रास्ता बतलाकर उनके समस्याओं का निवारण भी कर रहे हैं। बलबहरा धाम मे प्रतिदिन सुबह व शाम भक्तों जमावड़ा लगता है जहां महाराज जी प्रतिदिन भक्ति मार्ग के साथ साथ दायित्व बोध कराकर उनके जीवन को सुगम बनाने का प्रयास करते हैं।

युद्धस्तर पर किया जा रहा जीर्णाद्धार का कार्य

कपाली बाबाजी ने मंदिर के बारे मे जानकारी मे बताया कि यहां श्री रामजानकी मंदिर जीर्ण शीर्ण हो जाने पर मंदिर परिसर मे ही नये रामजानकी मंदिर के निर्माण पश्चात गुंबद निर्माण समेत, यज्ञशाला मे भी गुुंबद निर्माण जोर शोर से हो रहा है वही भौतिक बाधाओं से मुक्ति के लिए प्रेतराज महाराज की स्थापना भी जल्द की जायेगी। उन्होने बताया कि भगवान की कृपा से श्री रामजी महाराज, माता सीता व लक्ष्मण जी के साथ नये मंदिर मे बसंतु ऋतु के पहले ही विराजित हो जायेंगे।

Bhupendra Patel
Author: Bhupendra Patel

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