शहडोल दक्षिण वन मंडल में ‘दोहरे न्याय’ का काला सच

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*🔥 **शहडोल दक्षिण वन मंडल में ‘दोहरे न्याय’ का काला सच!*

 

*दस्तावेज़ों से छेड़छाड़ साबित—फिर भी आरोपी बेहिसाब आज़ाद*

*ईमानदार पर बिजली, दोषी पर मेहरबानी!*

*किसका है संरक्षण? किसका है खेल?**

 

*✍️ स्पेशल इन्वेस्टिगेशन — घनश्याम कुमार शर्मा*

 

*शहडोल।*

*दक्षिण वन मंडल शहडोल के भीतर एक ऐसा मर्मांतक प्रकरण सामने आया है*

*जिसने पूरे विभाग को*

*शक, सवाल और शर्म तीनों के घेरे में ला खड़ा किया है।*

 

*यह मामला सिर्फ़*

*अवैध परिवहन का नहीं—*

*बल्कि*

*दस्तावेज़ों से सुनियोजित छेड़छाड़,प्रशासनिक संरक्षण*

*और दोहरे न्याय का खुला प्रमाण है!*

 

 

*दो-दो बार पकड़ी गई संदिग्ध गाड़ी — फिर खेल शुरू*

 

*वनक्षेत्र में पकड़ी गई एक ही संदिग्ध गाड़ी दो अलग मौकों पर*

*अवैध परिवहन करते पकड़ी गई।*

 

*बीट गार्ड धनपुरी की वन रक्षक ज्योति लारिया ने नियम अनुसार*

*सम्पूर्ण दस्तावेज़ तैयार किए।*

 

*लेकिन—*

*जांच अधिकारी राजाराम पनिका ने इन्हीं दस्तावेज़ों में हेरफेर कर पूरा केस पलट दिया।*

 

*जब मामला उठा,*

*वन मंडल प्रमुख ने*

*जांच बैठाई…*

*और परिणाम चौंकाने वाला रहा*

 

*👉 दस्तावेज़ों से छेड़छाड़*

*राजाराम पनिका पर सिद्ध!*

 

*आरोप प्रमाणित होने के बाद भी—*

*ना निलंबन ना दंड ना कानूनी कार्रवाई!*

 

*बल्कि वही कर्मचारी आज भी बेखौफ घूम रहा है!*

 

 

**ज्योति लारिया पर त्वरित कार्रवाई —*

 

*क्या महिला होना अपराध है?**

 

*घटनाक्रम में लारिया की प्रत्यक्ष भूमिका नगण्य थी,फिर भी वन विभाग ने उन पर त्वरित कार्रवाई की।*

 

*उन्हें तत्काल हटाया गया!*

 

*उसी फाइल में अपराध सिद्ध होने के बाद भी दस्तावेज़ बदलने वाले जांच अधिकारी पर*

*सरकारी सुरक्षा की चादर तनी रही।*

 

*यही वजह है—*

*जिले में गूंज रहा सवाल…*

 

*”क्या कानून का रंग*

*पद और पहचान देखकर बदल जाता है?”*

 

 

**दस्तावेज़ों से छेड़छाड़ —*

 

*सिर्फ़ विभागीय गलती नहीं,*

*क़ानूनन गम्भीर अपराध!**

 

*दस्तावेज़ में बदलाव यानी—*

*◆ अपराधी को लाभ पहुंचाना*

*◆ सरकारी रिकॉर्ड छेड़ना*

*◆ सरकारी प्रक्रिया को प्रभावित करना*

 

*यह अपराध*

*सीधे-सीधे*

*दंडनीय श्रेणी में आता है।*

 

*फिर…*

*कार्रवाई रुकी क्यों?*

 

*किसने दबाया?*

*किसने बचाया?*

 

*किसके छत्रछाया में राजाराम पनिका“सतरंजी चाल” चलकर*

*सुरक्षित निकल गया?*

 

*जिले में चर्चा जोरों पर है—*

 

*“तीन-तीन वाला*

*अदृश्य हाथ*

*किसका है?”*

 

*तथ्य सामने, सच्चाई दबाई गई*

 

*जांच रिपोर्ट*

*स्पष्ट बताती है—*

 

*लारिया द्वारा तैयार दस्तावेज़ बाद में बदले गए*

*संशोधन पनिका द्वारा किया गया*

*प्रकरण को मोड़ा गया*

 

*इसके बाद भी आरोपी को*

*दंडित करने की जगह मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।*

 

*यानी सत्य को कुचला गया,*

*अपराधी को बचाया गया!*

 

*गांव की कहावत सटीक बैठ गई*

 

*मामले ने जनता को*

*एक पुरानी कहावत*

*फिर सुना दी —*

*“अपनों पर रहम,*

*गैरो पर सितम!”*

 

 

*यहाँ भी वही हुआ—*

*ईमानदार महिला कर्मचारी पर*

*लोहे की छड़ी,और दोषी पर मलाई-सी नरमी!*

 

*उदाहरण स्पष्ट*

 

*ज्योति लारिया पर गाज,*

*सिद्ध आरोपी पर ‘56 भोग’!**

 

*जहाँ लारिया को एकदम हटाया गया,*

*वहीं उसी केस में दोषी साबित पनिका पर अब तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं!*

 

*क्या यह न्याय है?*

*या सिर्फ़ “पद-परिवार-पहचान” का खेल?*

 

 

**कठघरे में दक्षिण वन मंडल —*

 

*अब जवाब दे!**

 

*सवाल सीधे हैं—*

 

*दोष सिद्ध होने के बाद भी*

*कार्रवाई क्यों नहीं?*

 

*दस्तावेज़ बदलना*

*अपराध नहीं?*

 

*अधिकारी को किसने बचाया?*

 

*क्या संरक्षण-नेटवर्क*

*वन मंडल पर हावी है?*

 

*क्या दक्षिण वन मंडल में ईमानदारी नहीं,*

*पहचान चलती है?*

 

*जब अपराधी छत्रछाया में सुरक्षित हों और ईमानदार*

 

*बलि-का-बकरा,तो कानून बौना और विभाग खोखला हो जाता है।*

 

*यह घटना*

 

*सिर्फ़ एक केस नहीं—*

*बल्कि दक्षिण वन मंडल की*

*प्रणालीगत सड़ांध और दोहरी नीति का खुला दस्तावेज़ है*।

*अगर दोषियों पर समुचित कार्रवाई नहीं हुई*

*तो*

*वन विभाग की विश्वसनीयता*

*अपरिवर्तनीय रूप से*

*खतरे में पड़ जाएगी।*

 

*अब ज़रूरत है—*

*👉निष्पक्ष जांच*

*👉तत्काल दंड*

*👉प्रशासनिक शुचिता*

*वरना*

*जंगल ही नहीं,*

*कानून भी उजड़ जाएगा!*

APR NEWS
Author: APR NEWS

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