हाइलाइट्स
रामलला के गर्भगृह की तपिश को कम करने के लिए चंडीगढ़ से निर्मित पत्थरनुमा ईंट लगा रहे हैं.
विशेष आर्डर पर तैयार ईंट मंदिर की मजबूती को और बढ़ा देगी.
पत्थर के मटेरियल से तैयार 3 होल वाली स्पेशल ईंट गर्भगृह के अंदर और बाहर की दीवारों के बीच लगाएंगे.
अयोध्या: अयोध्या में भगवान श्री राम का भव्य मंदिर बन रहा है, मंदिर निर्माण के साथ मंदिर की मजबूती को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट प्राथमिकता दे रहा है. मंदिर की आयु 1000 वर्षों तक रहे, इसके लिए तमाम वैज्ञानिक पद्धति का इस्तेमाल कार्यदायी संस्था के इंजीनियरों के द्वारा किया जा रहा है. ट्रस्ट समय-समय पर देश के नामचीन वैज्ञानिकों से मंदिर की मजबूती और आयु के लिहाज से परामर्श भी करता रहता है. बंसी पहाड़पुर के पिंक स्टोन से मंदिर का निर्माण शुरू किया गया है.
अब मंदिर के गर्भ ग्रह के निर्माण के दौरान पत्थर के मटेरियल से तैयार की गई स्पेशल ईंट का इस्तेमाल किया जा रहा है. यह खास ईंट मंदिर के गर्भगृह तक धूप की तपिश को कम करने के लिए बाहरी दीवार और अंदर की दीवार के बीच में लगाई जा रही है स्पेशल ईंट में विशेष तरीके के केमिकल का भी प्रयोग किया जा रहा है. यह ईंट चंडीगढ़ से मंगवाई जा रही हैं, इसमें तीन विशेष होल मजबूती के लिहाज से बनवाए गए हैं, जो केमिकल और रॉ मटेरियल की पाइलिंग करते हुए पत्थर और ईट की मजबूती प्रदान करते हुए मंदिर की तपिश को कम करेंगे.
2023 तक पूरा करना है मंदिर निर्माण
दरअसल 2023 दिसंबर तक मंदिर के निर्माण की समय सीमा तय की गई है. कार्यदायी संस्था लार्सन एंड टूब्रो और टाटा कंसल्टेंसी के इंजीनियर तय समय पर मंदिर का निर्माण पूरा हो इस लिहाज से तेजी के साथ काम कर रहे हैं. बंसी पहाड़पुर के पत्थरों से मंदिर का निर्माण हो रहा है. रामलला के मंदिर का निर्माण बंसी पहाड़पुर के पत्थरों से किया जा रहा है लिहाजा धूप की तपिश से मंदिर की दीवारें तपेंगी…
रामलला के निर्माणाधीन गर्भगृह के अंदर की तपिश को कम करने के लिए अंदर पत्थरों की दीवार और बाहरी पत्थरों के दीवार के बीच में विशेष ईंट का प्रयोग किया जा रहा है. ये ईंट मंदिर की तपिश को कम करेगी. साथ ही पत्थरों को आपस में जोड़ने के लिए तांबे की पत्ती का इस्तेमाल किया जाएगा. उसमें भी इस ईट की पकड़ मजबूत ही प्रदान करेगी.
पत्थर की डिजाइन पर बनी 3 होल वाली ईंट
मंदिर निर्माण कार्य में लगे हुए कार्यदाई संस्था लार्सन एंड टूब्रो के इंजीनियर ने बताया कि उच्च गुणवत्ता वाली पत्थर की डिजाइन पर बनी 3 होल वाली ईंट है. यह मंदिर के बाहरी दीवार और अंदर की दीवार के दोनों पत्थरों के बीच में लगाई जा रही हैं. मंदिर के अंदर तपिश का आभास कम हो, गर्भगृह के अंदर ठंडक बनी रहे. इस लिहाज से इस खास ईंट का प्रयोग किया जा रहा है. इंजीनियर के मुताबिक मंदिर निर्माण में सीमेंट और जो केमिकल मटेरियल इस्तेमाल किया जा रहा है. वह सीक्वेंस में होल में जा कर मंदिर की मजबूती को और प्रबल करेगा. साथ ही एल्युमिनियम की पत्ती जिससे कि पत्थरों को आपस में जोड़ा जाएगा उन पर भी पकड़ मजबूत करेगा. यह स्पेशल ईंट चंडीगढ़ से मंगाई जा रही है.
इनको राम जन्मभूमि परिसर में ही स्टोर किया जा रहा है. रामलला के मंदिर निर्माण में लगे हुए इंजीनियर अपने आप को सौभाग्यशाली मानते हुए तय समय सीमा के अंदर मंदिर निर्माण की बात कहते नजर आ रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : August 23, 2022, 19:12 IST