शहडोल (श्याम दास मानिकपुरी)- वर्षों से बदहाल शहडोल रेलवे स्टेशन अपने विकास के इंतजार में लंबे समय से आंसू बहा रहा है यहां की दयनीय स्थिति देखकर पैसेंजर तो दूर खुद रेलवे विभाग में सेवा दे रहे कर्मचारी व अधिकारी भी इस बात से हैरान रहते हैं कि आखिरकार डिवीजन व जोन के वरिष्ठ अधिकारियों के लगातार भ्रमण के दौरान भी स्टेशन परिसर व प्लेटफॉर्म के अंदर की दुर्दशा को मुकम्मल क्यों नहीं किया जा रहा वैसे तो दर्जनों समस्याएं है जिनका निराकरण हो पाना असंभव सा प्रतीत हो रहा है और खास तौर पर प्लेटफार्म के सेड पर जब नजर डाली जाए तो कहना ही कुछ और है बता दें कि प्लेटफार्म नंबर 1 पर लगे सेड पर विगत 2 से ढाई वर्ष पूर्व से बारिश के दिनों में कई जगहों से पानी के बौछारें नहीं बल्कि मोटी मोटी धारे बहती हैं जिस संदर्भ में संबंधित विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों सहित विभाग के प्रमुखA.D.E.N अंकित यदुवंशी को भी इस बात की खबर है किंतु आज तक समस्या का समाधान होना तो दूर साहब को अपने वातानुकूलित दफ्तर व गाड़ी की मोह के चलते उक्त स्थान में पहुंचकर वहां की समस्या को संज्ञान में लेना तक उचित नहीं समझते पिछले वर्ष ही रेल के विभिन्न कार्यालयों का भी लगभग लगभग यही हाल था किंतु रेल कर्मचारीयो व अधिकारीयो के कार्य बाधित ना हो इसलिए समस्या को ध्यान में रखते हुए किसी बड़े ठेकेदार को काम दिया जाकर उन सभी कार्यालय की व्यवस्था को सुदृढ़ कराया गया था लेकिन जिस रेल विभाग को प्रतिवर्ष दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे से कई लाख करोड़ रुपये की आमदनी मुसाफिरों अथवा जनता से होती है उनकी ही समस्या का निराकरण नहीं हो पाना रेल प्रशासन पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह लगाता है शहडोल रेलवे स्टेशन को ना सिर्फ दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के अंतर्गत बी ग्रेड का दर्जा प्राप्त है अपितु यह संभागीय मुख्यालय भी है जहां पर एडीजी व कमिश्नर जैसे बड़े अधिकारी अपनी सेवाएं देते हैं जहां पर रेल सब डिवीजन मे I.R.S की परीक्षा पास कर आए हुए रेलवे के बड़े-बड़े अधिकारी न सिर्फ शहडोल का बल्कि उनके कार्य क्षेत्र अंतर्गत काफी दूर तक रेल परिसर में अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं लेकिन सवाल यह उठता है कि जिन अधिकारियों के कार्य क्षेत्र के दायरे दूर-दूर तक होने की वजह से अधिकारियों का गस्ती भ्रमण रहता है वे अधिकारी खुद अपने रेल मुख्यालय शहडोल मैं समस्याओं को क्यों नहीं समाप्त कर पा रहे हैं सूत्रों की माने तो विभाग का यह कहना होता है कि फंड के अभाव में हम इस समस्या का निराकरण नहीं कर पा रहे हैं जबकि रेल भूमि पर हमेशा ही लगातार नए-नए भवनो सहित कार्यालय का निर्माण होता ही रहता है बावजूद इसके मुसाफिरों की समस्याओं को रेल प्रशासन द्वारा निराकरण क्यों नहीं किया जा रहा है। समाजसेवी व A.P.R न्यूज़ के शहडोल जिला प्रमुख व युवा पत्रकार श्याम दास मानिकपुरी ने बताया कि पिछले वर्ष भी उनके द्वारा संबंधित विभाग को इसकी सूचना दी गई थी इस पर उनके द्वारा आश्वासन तो सकारात्मक जरूर दिया गया लेकिन 1 वर्ष बीतने के बावजूद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है मजे की बात तो यह है कि रेलवे हेल्पलाइन नंबर 139 में भी शिकायत दर्ज कराई गई थी साथ ही इस ओर बिलासपुर के D.R.M आलोक सहाय को भी व्यक्तिगत रूप से 27 जून को ट्वीट किया जाकर समस्या की वीडियो क्लिप भी भेजी गई थी जिस पर उन्होंने “मैटर नोटेड”लिखकर तत्काल रिप्लाई किया था किंतु 1 वर्ष से ऊपर बीत जाने के बावजूद भी कोई कार्यवाही आज तक नहीं की गई इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब रेल प्रशासन के”रेल प्रबंधक”इतने बड़े जिम्मेदार अधिकारी द्वारा ट्वीट का “मैटर नोटेड” लिखकर रिप्लाई करना और 1 साल से भी ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी समस्या का निराकरण नहीं होना यह बताता है कि रेल प्रशासन जनता के प्रति कितना संवेदनशील है। और खासकर शहडोल स्थानीय रेल प्रशासन के जिम्मेदारों में संबंधित विभाग के सहायक मंडल अभियंता अंकित यदुवंशी अपने कार्य के प्रति कितने सजग है इस बात की जानकारी स्टेशन परिसर मैं रोजाना अपनी सेवा देने वाले लोगों व यात्रियों से बेहतर भला कौन जान सकता है सवाल यह भी अहम है कि जब D.R.M द्वारा “मैटर नोटेड” का रिप्लाई किया गया तो क्या वह सिर्फ दिखावा था और अगर रिप्लाई करने के दौरान समस्या के समाधान के लिए जब शहडोल के संबंधित अधिकारियों को समस्या फॉरवर्ड किया गया तो फिर D.R.M के आदेश का पालन साल भर बीत जाने के बाद भी क्यों नहीं हुआ यह तो एक जांच का विषय है लेकिन इतना तो तय है कि शहडोल मे रेल की कमान संभाल रहे सहायक मंडल अभियंता अंकित यदुवंशी की तानाशाही व लापरवाही रेल परिसर में चर्चा का विषय बनी हुई है।