जिला पंचायत ने कार्यवाही के निर्देश को रखा अधर में*
अविनाश शर्मा
शहडोल=(बुढ़ार/)पंचायतो में जिस तरह का भ्रष्टाचार पनप रहा है, और कार्यवाही के नाम पर वरिष्ठ अधिकारी खानापूर्ति मात्र कर रहे हैं। इससे से यही जान पड़ता है कि शिवराज सरकार में पंचायतो में भ्रष्टाचार को कैसे खुला संरक्षण प्राप्त है। जिसके फलस्वरूप पंचायत भ्रष्टाचार की नित नई कहानी लिखी जा रही हैं। ऐसा ही बुढ़ार जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत धनौरा का मामला प्रकाश में आया है। जहाँ कार्यों में 1 लाख 68 हजार 993 रुपये एवं सीसी रोड निर्माण कार्य में 5 लाख 36 हजार 991 रुपये कुल राशि 7 लाख 5 हजार 984 की राशि का बंदरबांट किया गया है। जिसमें रोजगार सहायक धर्मेंद्र साहू से वसूली की कार्यवाही करते हेतु एफआईआर दर्ज कराने के संबंध में प्रतिवेदन जिला पंचायत को 20 दिसंबर 2022 को भेजा गया था। लेकिन आज दिनांक तक जिला पंचायत के द्वारा आगामी कार्यवाही के निर्देश नहीं दिए गए। कारण जो भी हो अपितु जिला पंचायत उक्त मामले पर रोजगार सहायक के पक्षधर दिख रही है।
ज्ञान हो कि धर्मेंद्र साहू द्वारा ग्राम पंचायत धनौरा में प्रभारी सचिव के पद पर पदस्थ रहते हुए वित्तीय अनियमितता करने एवं सेवा शर्तों का उल्लंघन करते हुए पद का दुरुपयोग तो किया ही है साथ ही अपने सगे संबंधियों का फर्जी मस्टर रोल तैयार कर मजदूरी भुगतान भी किया गया है। व शासकीय राशि 1 लाख 68 हजार 993 रुपये की वित्तीय अनियमितता पाई गई। इस सम्बन्ध में कर्त्तव्यों में लापरवाही बरते जाने के कारण 5 मार्च 2018 को संविदा सेवा समाप्त भी कर दिया गया। जिसके विरूद्ध अपील की गई और आदेश को यथावत रखते हुए सेवा समाप्ति को ही आदेश माना गया। लेकिन आदेश के विरूद्ध रोजगार सहायक धर्मेंद्र कुमार साहू के द्वारा संभागायुक्त के न्यायालय में प्रकरण पेश किया गया और उसे स्थगन आदेश दिया गया।
गौरतलब है कि ग्राम पंचायत बनौरा में पंच परमेश्वर मद से 4 नग सीसी रोड के निर्माण कार्य की जांच अधीक्षण यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा मंडल शहडोल द्वारा किया गया एवं प्रतिवेदन संभागायुक्त शहडोल को दिया गया। उक्त सीसी रोड निर्माण कार्य में बिना मूल्यांकन के 5 लाख 36 हजार 951 का आहरण किया गया। बिना मूल्यांकन के राशि आहरित किये जाने के संबंध में यह मामला संभागायुक्त के यहां प्रचलन में भी है। साथ ही मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत बुढ़ार ने इस मामले में कुल राशि 7 लाख 5 हजार 984 रुपये का दुरुपयोग किये जाने के संबंध में प्रकरण की जानकारी भी दी और मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत से एफआईआर के संबंध में दिशा निर्देश भी मांगा था। लेकिन शासकीय राशि के गबन के बावजूद अब तक इस मामले में कोई कार्यवाही की जा सकी है। वहीं जिला पंचायत द्वारा मांगे गये दिशा निर्देशों पर आज दिनांक तक कोई पत्र जारी हुआ है। जबकि लगभग डेढ़ माह का समय बीत रहा है, और अब तक इस मामले में दिशा निर्देश न देना से साठ गांठ होने की बात भी सामने आ रही है। बावजूद इसके कि ग्राम पंचायत धनौरा में 1 लाख 68 हजार 993 की वित्तीय अनियमितता किये जाने के संबंध में मध्यप्रदेश पंचायत राज ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा के तहत कार्यवाही प्रचलन में आई है। जोकि लगभग 8 लाख रुपये के सरकारी धन का दोहन है। लेकिन कार्यवाही के नाम जिला पंचायत सहित कलेक्टर तक मूक दर्शक बने बैठे हैं।
शेष अगले अंक में
