मनोकामना पूर्ति दक्षिण मुखी बरगवां नाथ हनुमान जी महाराज की प्रादुर्भाव प्राण प्रतिष्ठा प्रभाव एवं महत्व का वर्णन

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मनोकामना पूर्ति दक्षिण मुखी बरगवां नाथ हनुमान जी महाराज की प्रादुर्भाव प्राण प्रतिष्ठा प्रभाव एवं महत्व का वर्णन

हनुमान जन्मोत्सव पर भव्य रामचरितमानस पाठ एवं विशेष पूजा अर्चना का आयोजन

अनूपपुर (बरगवां अमलाई)। श्री हनुमान जी जन्मोत्सव के शुभ अवसर पर 24 घंटे तक निरंतर श्री रामचरितमानस अखंड पाठ के साथ भव्य एवं वृहद आरती वंदना हवन एवं विशेष पूजा अर्चना की जाएगी साथ ही विशाल भंडारे का आयोजन को लेकर बेहतरीन साज सज्जा मंदिर परिसर की सजावट अत्यंत ही सुखद अनुभूति का अनुभव देती है मंदिर के प्रधान पुजारी पंडित अजय मिश्रा के द्वारा हनुमान जी के मनोकामना पूर्ति दक्षिण मुखी स्वरूप का वर्णन एवं इनकी स्थापना उत्पत्ति के कारणों को बताते हुए कहा कि कालिकाल के सर्वश्रेष्ठ सर्वोत्तम धर्म रक्षक श्री राम भक्त शिरोमणि अद्भुत क्षमता वान अपारशक्ति के स्वामी सभी की मनोकामना पूर्ण करने वाले बरगवां नाथ हनुमान जी स्वामी का ऐतिहासिक पुरातन प्रादुर्भाव का स्थान अमरकंटक से निकलने वाली ब्रह्मपुत्र सोनभद्र सोन नदी के किनारे बरगवां की पुण्य पावन भूमि मठ देवरा जहां पर आज भी कर्चुली कॉल की कई ऐसी अद्भुत मूर्तियों को शिल्प कला के माध्यम से तराशा गया है जहां पर आज भी ऐसी ऐसी मूर्तियां व प्रमाण पाए जा रहे हैं जहां से आज से लगभग 70 साल पहले भगवान विष्णु की चतुर्भुज मूर्ति की खोज ग्रामीणों के द्वारा की गई साथ में हनुमान जी महाराज का भी प्रादुर्भाव हुआ जिसमें भगवान विष्णु की चतुर्भुज मूर्ति को कहीं अन्यत्र चोरी करके ले जाया गया किंतु भरगामा के प्रतिष्ठित परिवार ब्राह्मण कुल शिरोमणि गुरुकुल की परंपरा को निरंतर चलाने वाले परम पूज्य गुरुदेव पंडित राम प्रप्प न एवं स्थानीय निवासियों के द्वारा उनकी अगुवाई में पावन पुण्य भूमि वर्तमान में जहां पर मनोकामना पूर्ति बरगवां नाथ हनुमान जी महाराज विराजमान है उसी स्थल पर एक पुराना नीम का पेड़ जिस पर हनुमान जी की 6 फीट प्राचीन मूर्ति को सटाकर रखा गया फिर बाद में चयनित स्थान पर प्राण प्रतिष्ठा वेद मंत्र उच्चारण सहित उन्हें स्थापित किया गया वर्तमान में आज भी श्रद्धालु भक्तजनों का दर्शनार्थ आना-जाना बना रहता है। कहा जाता है कि दक्षिण मुखी सिद्ध हनुमान जी यहां पर आने वाले सभी प्रकार के भक्तजनों के कष्टों एवं संकटों का निवारण करते हैं।

पुराने ग्राम वासियों के द्वारा जन जन मैं इन्हें लेकर एक  किंबदंती प्रचलित है जिसमें बताया जाता है कि हनुमान जी की प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व इस क्षेत्र के इलाकेदार जमीदार के द्वारा इनकी भव्य एवं सुंदर प्रतिमा को उस स्थान से उठाकर जमीदारों के द्वारा अपने गांव ले जाने की तैयारी कर रहे थे किंतु हनुमान जी ने अपने स्थापित होने का स्थान मंदिर के प्रधान पुजारी स्वर्गीय श्री राम प्रप न जी को स्वप्न के माध्यम से चयनित कर दिया था और इन इला केदार के द्वारा इन्हें अन्यत्र ले जाने का प्रयास बैल गाड़ियों के माध्यम से किया जा रहा था जिस पर कई बैलगाड़ी की  धुरी और चक्के टूट गए और हनुमान जी महाराज को उनके स्थान से तनिक भी नहीं हिलाया जा सका तत्पश्चात यथावत हनुमान जी की विशालकाय प्रतिमा व मूर्ति आज भी उसी स्थान पर विराजमान है।

इन्हीं से जुड़ी एक और भी कहानी का चर्चा किया जाता रहा है की रीवा रियासत के महाराजाधिराज गुलाब सिंह जी के द्वारा इलाके दारो बताए अनुसार रीवा राज्य से चलकर जब धीरौल के जमीदारों के यहां ठहराव हुआ और उनके द्वारा अपनी रानी के कहे अनुसार अपनी मनोकामना की अभिव्यक्त की गई उस समय बताया जाता है कि जमीदार परिवार के सदस्य के द्वारा मनोकामना पूर्ति हनुमान जी महाराज बरगवां नाथ का जिक्र किया गया जिस पर महाराजाधिराज ने उनके दर्शन की इच्छा जाहिर की और चलकर उनकी ध्वजा नारियल सिंदूर इत्यादि का उपयोग करते हुए विधिवत पूजा अर्चन किया गया और अपनी मनोकामना व्यक्त की गई इस पर हनुमान जी महाराज के द्वारा कुछ दूरी पर ही चलने में सिद्ध बाबा पहाड़िया के पास ही उनके द्वारा की गई जाहिर इच्छा मनोकामना के पूर्ण होने में सिद्धि मिल गई उस पर महाराजाधिराज के द्वारा जमीदारों को आदेश पारित किया गया की सिद्ध मनोकामना पूर्ति हनुमान जी महाराज बरगवां नाथ को यथावत स्थान पर रहने दिया जाए और यही इनकी पूजा आराधना की जाए अन्यत्र स्थान में ले जाने का प्रयास ना करें।

वर्तमान में हनुमान जी के दर्शन के लिए सप्ताह के मंगलवार और शनिवार के दिन भारी संख्या में भक्तजनों का तांता लगा रहता है दर्शनार्थ यही नहीं निरंतर बरगवां नाथ के दरबार में भक्ति भाव एवं श्रद्धा से जिनके द्वारा भी अपने मनोकामना की पूर्ति के लिए उनके दरबार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई जाती है उनके किसी भी प्रकार की मनोकामना हनुमान जी महाराज के द्वारा पूर्ण की जाती है यही नहीं सप्ताह के मंगलवार और शनिवार को विशाल भंडारे का आयोजन क्षेत्र के श्रद्धालु भक्तजनों के द्वारा निरंतर किया जाता रहता है यही कारण है कि हनुमान जी के दरबार में वर्तमान में मंदिर की देखरेख एवं निगरानी परम पूज्य गुरुदेव पंडित जी महाराज के वंशज मंदिर के प्रधान पुजारी पंडित अजय मिश्रा के द्वारा किया जा रहा है पूर्व में सिर्फ मंदिर का निर्माण खुले तौर पर किया गया था किंतु पंडित अजय मिश्रा और उनके अनुज बंधुओं के द्वारा वर्तमान स्थिति में मंदिर का जीर्णोद्धार कायाकल्प सुंदर और मनोरम बना दिया गया है जहां पर हनुमान जी की सुंदर छवि ऐसा प्रतीत होता है की प्रत्यक्ष रूप से हनुमान जी विराजमान हैं और सभी के कष्टों एवं दुखों का निवारण करते हैं ऐसा लोगों का मानना है की ख्याति प्राप्त दक्षिण मुखी हनुमान जी महाराज सदैव बिना किसी अंतर भेदभाव के उनके दरबार में आने वाले सभी छोटे बड़े गरीब बेबस लाचार मजबूर लोगों की निरंतर अपने आशीर्वाद स्वरूप सहायता करते रहते हैं।

Bhupendra Patel
Author: Bhupendra Patel

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