जुगुल मिश्रा
भाजपा प्रत्याशियों में इन नामों की चर्चा जोरों पर, नगर परिषद तय करेंगी कोतमा विधानसभा में जीत का रास्ता
बिजुरी :-संभाग की सबसे चर्चित कोतमा विधानसभा की सामान्य सीट है और इसके परिणाम पूरे जिले सहित संभाग को भी प्रभावित करते हैं।आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दलों की तैयारी इन दिनों जोरों से चल रही है। जगह जगह वॉल राइटिंग एवं लाडली बहना योजना के प्रचार के माध्यम से भाजपा सत्ता तक पहुंचना चाहती है।
पिछले परिणामों से फूंक-फूंक कर रख रहे कदम
वोही पिछले प्रयोग एवं उनके परिणामों से सत्ताधारी भाजपा एवं कांग्रेश फूंक-फूंक कर कदम उठा रही हैं।
2008 में नए परिसीमन के बाद कोतमा विधानसभा सामान्य सीट के तौर पर अस्तित्व में आई थी तभी से संभाग की सबसे चर्चित सीट बनी हुई है। पहली बार चुनाव होने के कारण भाजपा एवं कांग्रेस के आधा दर्जन से ज्यादा उम्मीदवार बागी मैदान में उतर गए तथा बहुजन समाज पार्टी भी बहुसंख्यक प्रभावशाली माने जाने वाले ब्राह्मण उम्मीदवार पर दाव खेली।
पिछले चुनाव में भाजपा को करना पड़ा था हार का सामना
भाजपा की ओर से दिलीप जायसवाल प्रत्याशी के रूप में मैदान में थे तो मनोज अग्रवाल कांग्रेस के प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरे नगर केंद्रों में कांग्रेस बढ़त में रही लेकिन महज कुछ वोटों से भाजपा के हाथ जीत लगी।कांग्रेस ने अपने नगर इकाइयों बिजुरी एवं कोतमा को मजबूती देते हुए आगामी 2013 विधानसभा के चुनाव में जीतने में भाजपा के अच्छे कामों के साथ मैदान पर उतरने के बावजूद सफल रही इसी समीकरण के साथ दोबारा 2018 के चुनाव कांग्रेस नए प्रत्याशी के साथ मैदान में उतरी उस समय कांग्रेस के सुनील सराफ कि इतनी लोकप्रियता भी नहीं थी और प्रधानमंत्री आवास सहित तमाम लोकप्रिय योजनाओं के बावजूद भाजपा के नेताओं का नगर केंद्रों में विरोध व एकजुटता की कमी तथा कांग्रेस की लहर बाजार केंद्रों से तीव्र गति से बहकर गांव की ओर गई।
नगर परिषद तय करेंगी जीत का रास्ता
जिससे बहुत आसानी से बहुत लंबे अंतराल से भाजपा के दिलीप जयसवाल को कांग्रेस के सुनील सराफ पटखनी दी।इस प्रकार कांग्रेस लगातार अपराजेय बनी हुई है।देखा जाए तो जिले का बड़ा आर्थिक केंद्र कोतमा नगर में हमेशा से कांग्रेस के पक्ष में रहा है।इसी प्रकार कोयलांचल क्षेत्रों में गठित नई नगर परिषदों में सबसे बड़ी नगर परिषद बनगवां का कुछ हाल इसी प्रकार का है जहाँ कांग्रेस हमेशा हावी रही इसबार यहां निर्दलीयों का कब्जा रहा लेकिन उपाध्यक्ष बनाने में कांग्रेस सफल रही।बिजुरी थोड़े मोड़े अंतर से अभी भाजपा के पास है। कुछ इसीप्रकार मिली जुली परिस्थितियां नवगठित नगर परिषद डोला एवं डूमरकछार की हैं।कोतमा विधानसभा क्षेत्र का बहुसंख्यक क्षेत्र वर्तमान में नगर पालिका एवं नगर पंचायत के रूप में है।इसलिए कोतमा की विजय का रास्ता नगर केंद्रों से ही होकर जायेगा!
नये चहरे पर दाव लगाने से भाजपा विधानसभा में हो सकती है काबिज
अभी भी कांग्रेस आंकड़े में भाजपा से कहीं आगे है।
एक कारण तो यह है की भाजपा के पुराने नेताओं कि आपसी गुटबाजी एवं जनता में अनुकूल छवि की कमी है। दूसरा नगर इकाइयों में अल्पसंख्यक समुदाय बड़ी मात्रा में निवास करता है।जिनके प्रभाव के कारण कांग्रेश की बढ़त प्रारंभ होती है तथा कोयलांचल क्षेत्र में श्रमिक संगठनों का भी प्रभाव है जिसकी कांग्रेस से नजदीकी तथा सत्ताधारी दल भाजपा के साथ समन्वय का आभाव है।जब प्रत्यक्ष रूप से नगर पालिका चुनाव होते हैं तो भाजपा जब भी नए चेहरे पर दांव लगाई परिणाम उसके पक्ष में रहे पुराने बड़े नेताओं के एकजुट होकर ना लगने के बावजूद कोतमा में मोहिनी धर्मेंद्र वर्मा लगभग 600 वोट से तथा बिजुरी में पुरुषोत्तम सिंह लगभग 1200 विजई हुए।जनता ने दोनों बड़ी नगर पालिकाओं में भारतीय जनता पार्टी के नए उम्मीदवारों को पसंद किया।
जीतने वाले चेहरे से खुलेगा विधानसभा का रास्ता
नगर केंद्रों में कांग्रेस का मजबूत जनाधार अभी भी कांग्रेस की बढ़त बनाए हुए है ।लेकिन देखना होगा इस बार के 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा में गुजरात फार्मूले की बात हो रही है और यदि ऐसा हुआ तो अपना नगर जीतने वाले नए चेहरे के साथ भाजपा के लिए जीत का रास्ता नगर केंद्रों से भोपाल जा सकता है।लेकिन कांग्रेस भी कमजोर नहीं है। पार्टी ने पुराने भूले भटके नेताओं को पद देकर काम में लगा दिया है तथा विधानसभा चुनाव के लिए उसने अभी से अपनी विसात बिछाना चालू कर दिया है।
