प्रदेश के रोजगार सहायकों की जायज मांग समर्थन योग्य,वास्तविक पारिश्रमिक के हकदार
मेरी कलम से……भूपेंद्र पटेल पत्रकार….!
अनूपपुर/मध्य प्रदेश के ग्राम रोजगार सहायक अपनी 5 बिंदुओं की मांग को लेकर लगभग दो महीने से अनिश्चितकालीन कलम बंद हड़ताल पर चले गए हैं। रोजगार सहायक पंचायतों में शासन की योजनाओं का क्रियान्वयन के लिए एक प्रमुख स्तंभ बन चुका है जिसकी अनुपस्थिति में कई कार्य प्रभावित होते देखे जा रहे हैं।
यह है प्रमुख मांगे: –
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मध्य प्रदेश रोजगार सहायक महासंघ के बैनर तले 25 मार्च 2023 को संबंधित विभाग के अधिकारी के समक्ष मांग पत्र रखा है जिसमें उल्लेख है कि पहला जिला संवर्ग सहायक सचिव पद पर संविलियन, नियमितीकरण अथवा वेतन पंचायत सचिव के समकक्ष होने से 90% सहायक सचिव पर भी लागू कराया जावे जिसमें कम से कम 30 हजार रुपए प्रतिमाह हो। दूसरा रोजगार सहायकों का स्थानांतरण नीति लागू हो। तीसरा निलंबन अवधि में गुजारा भत्ता की पात्रता हो। चौथा आकस्मिक निधन अथवा मृत्यु के पश्चात 5 लाख रुपए की अनुग्रह सहायता राशि एवं अनुकंपा नियुक्ति की पात्रता हो। पांचवा है पीएफ की पात्रता हो जैसा कि कुछ जिलों में पूर्व में लागू रहा है।
रोजगार सहायक प्रमुख कार्यों का करते हैं निष्पादन,पारिश्रमिक जीरो
आज के युग में समस्त कार्यों का संचालन ऑनलाइन इंटरनेट के माध्यम से किया जाता है और इसी को देखते हुए ग्राम पंचायतों में रोजगार सहायक की नियुक्ति की गई जो वास्तव में मनरेगा के कर्मचारी के रूप में पदस्थ किया गया परंतु दसवीं उत्तीर्ण के माध्यम से ग्राम पंचायत सचिवों की नियुक्ति थी जो कंप्यूटर संचालन में दक्ष नहीं माने गए थे और ग्राम पंचायतों में सभी प्रकार के ऑनलाइन कार्यों का संचालन अभी तक रोजगार सहायक करते आ रहे हैं अतः यू कहा जाए कि आज की तकनीकी युग में शासन प्रशासन सरकार की योजनाओं का जमीनी स्तर पर संचालन करने का कार्य रोजगार सहायक करते आ रहे हैं हितग्राही मूलक कार्य में चाहे सभी मनरेगा के निर्माण कार्य प्रधानमंत्री आवास योजना समग्र स्वच्छता अभियान के शौचालय अन्य सभी प्रकार के जियो टैग के कार्य करते रहे हैं। यह माना जाए कि पंचायत सचिव के साथ कंधे से कंधा मिलाकर पूर्ण रूप से शासन के कार्यों को निष्पादित करने में रोजगार सहायक का महत्वपूर्ण योगदान है और उसी हिसाब से मात्र आज की महंगाई में 9 हजार रुपए मासिक पारिश्रमिक का मिलना शासन द्वारा दुर्व्यवहार है। कलेक्टर दर पर नियुक्त कंप्यूटर ऑपरेटर को आज कम से कम 15 हजार रुपए मासिक पारिश्रमिक मिलता है जितने के हकदार आज रोजगार सहायक तो हो ही सकता है।
शासन को सुध लेने की आवश्यकता
रोजगार सहायक महासंघ की 5 बिंदुओं के मांग पर शासन को शुध लेकर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है क्योंकि यह चुनावी वर्ष है और ऐसे में कई अधिकारी कर्मचारी संघ हड़ताल में है परंतु ग्राम पंचायत का प्रमुख कर्मचारी कार्यों का निर्धारण करने वाला रोजगार सहायक होने के कारण इनके 5 बिंदु मांग है परंतु शासन को सरकार की आर्थिक चुनौती को समझते हुए पूरा करने की आवश्यकता है अर्थात कुछ जायज मांगों को समर्थन योग्य कहकर घोषित कर देना न्याय संगत होगा।