अब सच दिखाना हुआ मुश्किल, खबर छापे तो कर देंगे शिकायत* 

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*बड़ा सवाल —– तो क्या करनें दे भ्रष्टाचार ?*

 

शहडोल/बुढ़ार।

सरकार की ऐसी तमाम योजनाएं हैं जिनके जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन से सरकार हर वर्ग हर व्यक्ति विशेष को लाभान्वित करना चाहती है। लेकिन इन योजनाओं का कितना पालन हो रहा है और व्यक्ति विशेष को कितना लाभ मिल पा रहा है इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं। हालात ऐसे भी है कि अब भ्रष्टाचार को उजागर करनें पर भी झूठी शिकायत और आरोप झेलना पड़ रहा है। कुछ ऐसा ही मामला जनपद पंचायत बुढ़ार से सामने आया है जहां क्षेत्र के ग्राम पंचायत के एक निर्माण कार्य की खबर प्रकाशित करनें के बाद झूठे आरोप उन पर लगानें के प्रयास किये जा रहे हैं जिन्होनें पत्रकारिता धर्म का पालन कर भ्रष्टाचार को सामनें लानें का प्रयास किया।

 

*जानिये क्या है पूरा मामला*

बीते दिवस जिले के जनपद पंचायत बुढ़ार के ग्राम पंचायत घोरवे में एक स्टाप डेम निर्माण में हो रहे भ्रष्टाचार की शिकायत सामने आनें के बाद जब पत्रकार मौके पर सच जाननें गये और पत्रकारिता के सभी मापदण्डों को पूरा करते हुये खबरों का प्रकाशन किया तो उन्हें तमाम आरोपों से घेर लिया गया।

 

*खबर प्रकाशन के बाद हुई शिकायत*

सबसे अहम यह है कि ग्राम पंचायत घोरवे में निर्माणाधीन स्टाप डैम में ऐसी तमाम थी जिसकी सूचना लगातार सामने आ रही थी। मौके पर पत्रकारों द्वारा इन सूचनाओं की तस्दीक भी गई और पाया कि निर्माण स्थल पर न ही किसी तरह का कोई सूचना पटल था और न ही कार्य के संबंध में किसी भी तरह की जानकारी का उल्लेख था। चल रहे निर्माण कार्य में जिन सामग्रियों का उपयोग किया जा रहा था वह भी तय पैमाने पर नहीं थे, जिस पर जानकारी के लिये संबंधित पत्रकारों नें पत्रकारिता के धर्म का पालन करते हुये ग्राम पंचायत के सचिव को फोन पर बताया और इन कमियों के संबंध में जानकारी चाही, लेकिन उनके द्वारा जानकारी प्रदान न करते हुये यह कहा जानें लगा कि उनकी पंचायत में उनकी अनुमति के बिना पत्रकार प्रवेश कैसे कर गये। स्वतंत्र भारत में जब मौलिक स्वतंत्रता का अधिकार देश के प्रत्येक व्यक्ति को हैं तो ऐसे में चौथा स्तंभ माना जानें वाला पत्रकार क्या इतना स्वतंत्र नहीं है कि वह एक सूचना पर वस्तुस्थिति से अवगत होनें जा सके, सवाल इस पर भी खड़े हो रहे हैं। वहीं पत्रकारों नें इसकी सूचना संबंधित कार्य के निरीक्षण, परीक्षण व मूल्यांकनकर्ता उपयंत्री को दी और क्षेत्रीय विधायक के साथ ही जनपद पंचायत के अध्यक्ष को भी जानकारी से अवगत कराते हुये अपनी प्रकाशित खबरों में उनका पक्ष रखा।

 

 

*भ्रष्टाचार का सच‌ सामने आते ही बिफरे सचिव*

 

सूत्र बताते हैं कि घोरवे पंचायत में पदस्थ सचिव राकेश त्रिपाठी के नियुक्ति से लेकर अब तक तमाम स्थानों पर पदस्थापना के विभिन्न कार्यकालों का ब्यौरा निकाला जाये तो ऐसी तमाम जानकारियां सामने आ जायेगी जो उनकी विवादित कार्यप्रणाली को उजागर करनें के लिये पर्याप्त होगें। संबंधित खबर से जुडे सचिव को जब खबर प्रकाशन होने की जानकारी लगी तो वह कुछ इस तरह बिफरे कि आनन फानन में एक व्हाट्सअप ग्रुप में अनर्गल आरोप लगाते हुये इस बात को भी कह डाला कि वह इसकी शिकायत करेंगे, बेशक शिकायत करना उनका नैतिक अधिकार है और करना भी चाहिये लेकिन उनके द्वारा की गयी शिकायत कि जांच भी एक अहम बिंदु हैं जिस पर जिम्मेदारों को ध्यान देना चाहिये।

 

*तो क्या पत्रकार न दिखाये सच*

खबर के प्रकाशन के बाद सचिव नें जहां शिकायत कर इस बात को स्पष्ट कर दिया कि उनके भ्रष्टाचार को यदि कोई उजागर करेगा तो वह झूठा षडयंत्र रचकर भयभीत करने का प्रयास करेंगे, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या पत्रकार अपना काम न करें? वह आमजन की आवाज न बनें? खुले तौर पर भ्रष्टाचार होनें दें।

 

*ऐसे में मुखिया की मंशा कैसे होगी पूरी*

 

एक तरफ जहां देश व प्रदेश के मुखिया गांव गांव तक विकास कार्यों में करोड़ों रुपये खर्च कर लाभान्वित करनें का हर संभव प्रयास कर रहे हैं वहीं जमीनी स्तर पर तैनात ऐसे गैर जिम्मेदार इन विकास मदों की राशि में बंदरबाट कर अपनी जेबें भर रहे हैं। ऐसे में अंतिम छोर के व्यक्ति को इन विकास कार्यों का पूरी लाभ कैसे मिलेगा और मुखिया की मंशा कैसे पूरी होगी इस पर भी सवालिया निशान लगते दिखाई दे रहे हैं। बहरहाल पूरे मामले में यदि निष्पक्ष जांच हुई तो शिकायत के आरोपों से लेकर प्रकाशित खबरों के तथ्यों का ब्यौरा जरुर सामनें आ जायेगा इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है।

Avinash Sharma
Author: Avinash Sharma

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