गजराज ने कांसा के सुनील यादव पर बरपाया कहर,चिकित्सालय पहुंच बची जान
हाथियों का तांडव महीनों से जारी, ग्रामीणों ने कहा विभाग प्रशासन जनप्रतिनिधि नहीं दे रहे ध्यान
अनूपपुर /गत दिनांक 04/08/023 के दोपहर 12.15 बजे वन परीक्षेत्र अनूप़़पुर के दुधमनिया बीट अंतर्गत कांशा गांव के टिकरीटोला में पांच हाथियों के समूह से एक बड़ा हाथी कबरा कान वाला के द्वारा एक ग्रामीण सुनील यादव पिता रामदुलारे यादव उम्र 40 वर्ष निवासी टिकरीटोला कांसा पर हमला कर फेंक दिया है जिससे सुनील यादव के छाती एवं शरीर के अन्य स्थानों में अंदरूनी चोट लगी है घटना की जानकारी ग्राम पंचायत पगना गांव के पूर्व सरपंच श्याम सिंह एवं वर्तमान सरपंच सुधार सिंह द्वारा वन्यजीव संरक्षक अनूपपुर शशिधर अग्रवाल को दिए जाने पर श्री अग्रवाल एवं एंबुलेंस चालक वीरू यादव द्वारा घायल को एंबुलेंस के माध्यम से जिला चिकित्सालय अनूपपुर में लाकर चिकित्सक से उपचार कराया जा रहा है जो भर्ती है,चिकित्सक के अनुसार मरीज खतरे से बाहर है।
ज्ञातव्य की गुरुवार की देर शाम पांच हाथियों का समूह लखनपुर के जंगल से निकलकर देर शाम-रात को खोलईया,दुधमनिया गांव के बीच से दुधमनिया गांव में वन घौकी के पास से गुजरता हुआ दुधमनिया-कांसा मुख्य मार्ग पर चलकर रामलल्ला पटेल के बाड़ी में लगे विभिन्न तरह की फसलों को तथा बबलू कोल के खेत में फसलों को खाता हुआ पड़ोस में ग्राम पंचायत कांशा के टिकरीटोला में जा पहुंचा जहां अनेकों गांव के लोगों द्वारा हाथियों के समूह को मसाल,हो-हल्ला कर भगाने का प्रयास कर रहे थे इसी दौरान समूह के सबसे बड़े हाथी के द्वारा अपने बचाव में पीछे मुड़कर दौड़ कर हमला किया। पूरे एक माह बीत जाने के बाद भी हाथियों का समूह अनूपपुर जिले की सीमा से बाहर जाने को तैयार नहीं है जिससे जिले के दो दर्जन से अधिक गांव के ग्रामीण हाथियों के आतंक से निरंतर परेशान हैं। लगातार हाथियों का तांडव और आतंक से क्षेत्रवासी त्रस्त हो चुके हैं और जिन्हें यहां से भगाने में वन विभाग एवं प्रशासन नाकामयाब साबित हो रहा है।ग्रामीणों का आरोप है कि एक माह बीत जाने के दौरान हाथियों के आतंक से हम ग्रामीण वालों की समस्याओं को सुनने के लिए जिला प्रशासन,वन विभाग एवं जिले के किसी भी राजनीतिक दल के प्रमुख पदाधिकारियों ने दौरा तक नहीं किया जिससे कि ग्रामीणों को कुछ शांती मिल सके वही किसी के द्वारा भी हाथियों के समूह को जिले से बाहर करने की कोशिश तक न किए जाने के कारण ग्रामीण जन हाथियों को स्वयं ही भगाने का प्रयास कर रहे हैं जिससे कभी-कभी दुर्घटना होने की संभावना बन जाती है, ज्ञातव्य है कि एक माह के मध्य हाथी के हमले से एक वृद्ध की मौत,हाथियों को घर में घुसता देख घबराने से दो महिलाएं बेहोश होकर एवं हाथियों के दौडानै से भागने से गिर कर एक वनरक्षक घायल होकर विभिन्न अस्पतालों में उपचार हेतु भर्ती हो चुके हैं वही एक सैकड़ा के लगभग घरों एवं 200 से अधिक किसानो के खेतों को बुरी तरह कुचल कर,तोड़कर,अनाजों को अपना आहार हाथियों के समूह बना चुके है जो वर्तमान समय तक निरंतर जारी है।