ग्रापं केल्हौरी में तीन महीने से नल जल योजना ठप्प,बूंद बूंद पानी को मोहताज ग्रामीण
अनूपपुर। सन 1954 में कवि प्रदीप कुमार ने एक गीत लिखा था देख तेरी संसार की हालत क्या हो गई भगवान कितना बदल गया इंसान ठीक इसी तरह एमपी सरकार पर यह गाना फिट होते नजर आ रहा है। “देख तेरे पंचायत की हालत क्या हो गई एमपी सरकार एक-एक बूंद पानी के लिए तरस रहा इंसान” ग्राम पंचायत केल्हौरी में लगभग 3 माह से नल जल योजना पूरी तरह से ठप्प बंद पड़ी हुई है और किसी प्रकार का प्रशासन ध्यान नहीं दे रही जबकि करोड़ों रुपए की लागत से नल जल योजना के लिए ग्राम पंचायत अंतर्गत दो बड़ी-बड़ी टंकियां बनाई गई है किंतु दोनों यह टंकी शोपीस बनी हुई है जबकि केल्हौरी ग्राम पंचायत में चार से पांच हजार लोगों की बस्ती है और इस बस्ती में ज्यादातर बैगा समाज के लोग निवासरत हैं। सरकार इन जातियों के लिए हर संभव सुविधा का प्रयास कर रही है किंतु अनूपपुर जिले में प्रशासनिक अधिकारी सरकार की उम्मीद में पानी फेरते नजर आ रहे है किसी प्रकार की कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं जिसके चलते आज पूरा गांव एक-एक बूंद पानी के लिए मोहताज हो रही है पानी मनुष्य, जीव जंतु ही नहीं बल्कि हर सजीव वस्तु और जीवन के लिए महत्वपूर्ण अहम माना जाता है। परंतु इस प्रमुख समस्या पर ना तो सचिव सरपंच और ना ही जिला प्रशासन ध्यान दे रहा है जबकि अखबारों के माध्यम से लगातार पानी की समस्या को प्रकाशित की जा रही है।
क्या सचिव की लापरवाही ने तरसा दिया बूंद-बूंद पानी के लिए.?
पंचायती राज व्यवस्था एवं ग्राम स्वराज के सपनों को साकार होने से पहले ही ग्राम न्यायालय एवं ग्राम विकास की अवधारणा को लेकर पंचायत कल्याण मंत्रालय की व्यवस्था को मटिया पलीत करने वाले शासन प्रशासन के द्वारा ग्राम पंचायत की व्यवस्था को निगरानी एवं देखरेख में रखने वाले शासन प्रशासन के उच्च अधिकारियों के साथ पंचायत स्तर पर नियुक्त व पदस्थ ग्राम सचिव भी पंचायत क्षेत्र अंतर्गत वहां निवासरत आबादी एवं जनता को उनकी मूलभूत एवं बुनियादी सुविधाओं से वंचित करने का प्रयास बदस्तूर जारी है।जिसका एक जीता जागता उदाहरण इन दिनों ग्राम पंचायत केल्हौरी जो कि जनपद पंचायत जैतहरी अंतर्गत मध्य प्रदेश विद्युत मंडल जैसी शासन की महत्वपूर्ण बिजली इकाई स्थापित होने के बावजूद भी जनहित में किए जाने वाले वेलफेयर राशि के माध्यम से विकास की बाट जोहते ग्रामीण बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं।
शासन की नल जल योजना डिबिया में बंद पड़ी अधूरी कहानी..
जनकल्याण को ध्यान में रखते हुए शासन प्रशासन के द्वारा जन-जन को लाभ पहुंचाने की दृष्टि से शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में जन कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से खासकर नल जल योजना जैसी महत्वपूर्ण व्यवस्था एक अधूरी कहानी बनकर खुदीराम बोस की डिब्बी में क्या था मुहावरा बनकर रह गया है बार-बार समस्या को लेकर ऊपर से नीचे तक शिकायतें एवं अखबार की सुर्खियां बटोर रहे इस भीषण पेयजल समस्या के निदान के लिए ना कोई जनप्रतिनिधि आगे आ रहा है और ना शासन प्रशासन के अधिकारी ऐसी स्थिति में अपनी प्यास बुझाने के लिए संपूर्ण भीषण गर्मी निकल गई और गड्ढे और पोखरो की कीचड़ युक्त गंदे पानी पीकर बीमार हुए ग्रामीण अभी तक शुद्ध पेयजल के लिए शासन के दरवाजों में दस्तक दे रहे हैं किंतु उनकी आवाज अनसुनी कर दी जा रही है इसका क्या कारण है।