जिले में स्मार्ट मीटर ना लगाए जाने हेतु समाजसेवी शिक्षाविद जितेंद्र सिंह ने सीएम को लिखा था पत्र मामले में हुआ संज्ञान-चीफ इंजीनियर से मांगा मार्गदर्शन
(अशोक सिंह चंदेल)
इन्ट्रो:-
स्मार्ट मीटर की स्मार्टनेस पर प्रारंभ से ही सवाल खड़े होते रहे हैं प्रदेश के कई जिलों में इसके लगाए जाने का विरोध जनप्रतिनिधियों ने खुलकर किया है,आदिवासी बाहुल्य अनूपपुर जिले में स्मार्ट मीटर की आवश्यकता क्यों का सवाल खड़ा करते हुए जिले के वरिष्ठ समाजसेवी व शिक्षाविद जितेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री को संबोधित पत्र लिखते हुए जिले में इसे न लगाए जाने का आग्रह किया था, जिसके परिपेक्ष में मुख्यमंत्री कार्यालय के द्वारा प्रबंध संचालक मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड जबलपुर को नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही हेतु निर्देश दिए हैं,वहीं अधीक्षण अभियंता अनूपपुर के द्वारा इस मामले में विभाग के मुख्य अभियंता से मार्गदर्शन मांगा गया है,ताकि लोगों को स्मार्ट मीटर से राहत मिल सके।
अनूपपुर। आदिवासी बाहुल्य अनूपपुर जिले की बहुतायत आबादी आज भी गरीब व मध्यम वर्ग के अंतर्गत आते हुए अपना जीव को पार्जन कर रही है,लगातार विभिन्न प्रकार के उत्पादों में बढ़ते कर उसे कमजोर करते चले जा रहे हैं,और जिले में जहां-जहां भी स्मार्ट मीटर लगे पहले चरण में ही उनकी स्मार्टनेस ने उपभोक्ताओं को कारारा झटका देना शुरू कर दिया,जिसकी शिकायतें विद्युत विभाग के समक्ष प्रमाण हैं परेशान बिजली उपभोक्ताओं की आवाज बनकर स्मार्ट मीटर की स्मार्टनेस पर सवाल खड़ा करते हुए जिले के वरिष्ठ समाजसेवी व शिक्षाविद जितेंद्र सिंह ने प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को संबोधित पत्र लिखते स्मार्ट मीटर आदिवासी बाहुल्य अनूपपुर जिले में न लगाए जाने का आग्रह किया इसके बाद मुख्यमंत्री कार्यालय से पूरे मामले को लेकर सामने आए पत्र के बाद कुछ राहत मिलने की उम्मीद जगती दिखाई पड़ रही है,स्मार्ट मीटर लगने के बाद बिजली उपभोक्ता किस तरह से परेशान हैं यह प्रदेश के अन्य जिलों व देश के अन्य प्रदेशों से सामने आ रही खबरें स्पष्ट कर रही हैं ।
झूठी नही लगातार आ रही शिकायतें
जिले के कई विद्युत वितरण केंद्र अंतर्गत स्मार्ट मीटर लगाने का कुछ कार्य हुआ उसके प्रथम माह की बिलिंग्स ने उपभोक्ताओं को भौ चक्का कर दिया,इसके बाद लोगों ने स्मार्ट मीटर लगाए जाने का विरोध शुरू किया लेकिन उनके विरोध की आवाज से अधिकारियों को कोई फर्क नहीं पड़ा और स्मार्ट मीटर लगाए जाने का कार्य जारी रहा जिसका लिखित तौर पर विरोध करते हुए स्मार्ट मीटर ना लगाए जाने की आवाज जिले के वरिष्ठ समाजसेवी व शिक्षाविद जितेंद्र सिंह ने प्रदेश के मुख्यमंत्री तक पहुंचाई,जिस पर यथा उचित कार्यवाही करते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय को अवगत कराने विभाग को निर्देश दिए गए हैं।
पहले सैकड़ों में आता था बिल अब हजारों में
विद्युत वितरण केंद्र चचाई अंतर्गत आने वाले दर्जनों स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं ने शिकायत देते हुए बताया कि जब उनके यहां स्मार्ट मीटर नहीं लगा था तब उनका बिल 500 से 600 रूपये के आसपास जुलाई अगस्त माह में आता था और स्मार्ट मीटर लगने के बाद वही बिल 2800 रुपए से लेकर 3 हजार तक पहुंच गया, ऐसे में स्पष्ट हो गया कि स्मार्ट मीटर लगने के बाद से बिजली का बिल अधिक आने लगा है। यही कारण है कि स्मार्ट मीटर लगाए जाने का बिजली उपभोक्ता विरोध कर रहे हैं। कुल मिलाकर स्मार्ट मीटर के स्मार्टनेस पर सवालिया निशान लगने लगा है।
भयभीत है जिले के विद्युत उपभोक्ता
जिले के वरिष्ठ समाजसेवी व शिक्षाविद जितेंद्र सिंह ने अपने लिखे पत्र में साफ शब्दों में उल्लेखित किया कि स्मार्ट मीटर से आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के भोले-भाले विद्युत उपभोक्ता स्मार्ट मीटर के आने वाले बिल को लेकर भयभीत हैं एवं शंका जाहिर कर रहे हैं कि हम गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों के लिये स्मार्ट मीटर का बिल आर्थिक क्षति का पर्याय तो नहीं?विद्युत उपभोक्ताओं के यहां लगा इलेक्ट्रानिक मीटर जो गुणवत्ता से परिपूर्ण है तथा उपभोक्ता भी इस इलेक्ट्रानिक मीटर के बिल से संतुष्ट था तथा विभाग के मानक मापदण्डो के आधार पर इलेक्ट्रानिक मीटर सफल है। तो स्मार्ट मीटर की आवश्यकता यहां क्यों?