वन नेशन वन इलेक्शन का फार्मूला राष्ट्र हित में:-जितेंद्र सिंह
अनूपपुर/भारत देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में संपूर्ण राष्ट्र में विकासोन्मुखी जानोन्मुखी कार्यक्रम तीव्र गति से लागू किया जाकर जनकल्याणकारी कार्य जनहित में किया जा रहे हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी संपूर्ण राष्ट्र में सजक प्रहरी की भांति मुस्तैद होकर राष्ट्र को दृढ़ता प्रदान करने में अनमोल भूमिका निभा रहे हैं।
संपूर्ण राष्ट्र में प्रधानमंत्री के निर्देश पर वन नेशन वन इलेक्शन फार्मूला को लोकसभा एवं राज्यसभा की पटल में रखकर बहुमत से पारित कराए जाने को लेकर क्षेत्र के उत्कृष्ट समाजसेवी तथा शिक्षाविद श्री जितेंद्र सिंह ने वक्तव्य जारी कर कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन का फार्मूला संपूर्ण राष्ट्र के हित में है उन्होंने कहा कि भारत विश्व में सबसे बड़ा प्रजातांत्रिक देश है भारतवर्ष आजाद होकर संविधान के तहत प्रत्येक 5 वर्ष में लोकसभा विधानसभा तथा अन्य स्थानीय चुनाव निर्वाचन आयोग के माध्यम से संपन्न कराए जाते हैं।जब से भारत में लोकतांत्रिक चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ हुई इस समय से ही संपूर्ण राष्ट्र में लोकसभा विधानसभा तथा अन्य स्थानीय निर्वाचन प्रक्रिया लगभग एक साथ ही संपन्न कराई जाती रही है किंतु दुर्भाग्य वस् कई प्रदेशों में राष्ट्रपति शासन अनुच्छेद 356 के लगाए जाने के कारण कई प्रांतों में विधानसभा निर्वाचन की प्रक्रिया अन्य राज्यों के साथ नहीं होने से पूरे देश में चुनाव प्रक्रिया विभिन्न राज्यों में पृथक पृथक वर्षों में संपन्न कराए जाने लगे जिससे निर्वाचन साथ-साथ संपन्न नहीं हो सके।
श्री सिंह ने कहा कि संपूर्ण राष्ट्र के अनेक प्रदेशों में एक साथ चुनाव न होने से चुनाव प्रक्रिया जटिल होने लगी विभिन्न प्रांतो में पृथक पृथक वर्षों में चुनाव संपन्न होने लगे समूचे देश में निर्वाचन प्रक्रिया अलग-अलग प्रांतों में उनके 5 वर्ष के कार्यकाल समाप्त होने के पश्चात संपन्न कराए जाने से चुनाव आयोग को प्रत्येक वर्ष चुनाव संपन्न कराने में वित्तीय भार पड़ता है और देश की जनता पर अतिरिक्त वार्षिक बोझ पड़ता है जिससे महंगाई अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ती है।
श्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन फार्मूला लागू होने से निर्वाचन प्रक्रिया में सुगमता होगी एवं व्यय भार भी एक ही बार लगेगा जिससे देश की अर्थव्यवस्था में सुधार होगा क्योंकि प्रत्येक वर्ष चुनाव संपन्न करने से वित्तीय भार निश्चित ही अनावश्यक रूप से बढ़ता है।
श्री सिंह ने कहा कि देश में एक ही बार चुनाव संपन्न करने से बार-बार होने वाले चुनाव में लगने वाले व्यय भार में कमी होगी तथा पूरे देश में बार-बार चुनाव होने के कारण लगने वाले आचार संहिता से जनमानस के विकास कार्य भी अवरुद्ध होते हैं एवं समय की बर्बादी होती है प्राय: यह देखा गया है कि लोकसभा निर्वाचन के बाद विधानसभा फिर नगरीय निकाय फिर पंचायत के निर्वाचन होते हैं इस प्रकार लगभग दो से ढाई वर्ष आचार संहिता में ही व्यतीत होते हैं एवं इस बीच ना तो कोई विकास कार्य होते हैं और ना ही कोई निर्माण कार्य यहां तक की सामान्य जनजीवन भी प्रभावित होता है क्योंकि निर्वाचन के समय आदर्श आचरण संहिता लागू होने से निषेधाज्ञा लागू होती है जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है तथा जनजीवन प्रभावित होता है यहां तक कि छात्रों को अध्ययन अध्यापन कार्य में बाधा उत्पन्न होती है चुनाव वर्ष से में रोजगार प्रशिक्षण पर पाबंदी होने से बेरोजगारी भी बढ़ती है साथ ही आम जनता अपने पारिवारिक अथवा धार्मिक कार्यक्रम भी पूरे उल्लास से नहीं मना पाता है क्योंकि ऐसे कार्यक्रमों में एवं आयोजनों में भी चुनावी आचार संहिता के कारण एक तरह का अघोषित प्रतिबंध रहता है।
श्री सिंह ने आगे कहा कि राष्ट्र हित में वन नेशन वन इलेक्शन के फार्मूले की पुरजोर सिफारिश कर भारत के सभी राजनीतिक दल से निवेदन है कि दलगत राजनीति की भावनाओं से ऊपर उठकर राष्ट्रहित के मुद्दे को सर्वोच्च मानकर राष्ट्रहित में वन नेशन वन इलेक्शन फार्मूला को लोकसभा एवं राज्यसभा में पारित करने का संकल्प लेने का कष्ट करें ताकि यह फार्मूला बिना किसी अवरोध के संपूर्ण भारतवर्ष में लागू हो सके।