घनश्याम शर्मा(शहडोल/बुढार)
_आदेश को दरकिनार करते हुए राष्ट्रीय शोक दिवस पर अनुभूति कार्यक्रम के बहाने स्व.पूर्व प्रधानमंत्री का अपमान_
*बुढार* गुरुवार की शाम भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का निधन हो गया इसके बाद पूरे राष्ट्र में शोक की लहर दौड़ गई और कैबिनेट ने राष्ट्रीय शोक दिवस 7 दिन के लिए घोषित कर दिया, लेकिन मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में राष्ट्रीय शोक दिवस और कैबिनेट के फैसले का उल्लंघन करते हुए वन विभाग शहडोल द्वारा अनुभूति कार्यक्रम का आयोजन किया गया,जिसमें लोगों को बुलाकर उनका स्वागत सत्कार और भाषण और खेलों का आयोजन किया गया, जो की साफ तौर पर कैबिनेट के द्वारा दिए गए आदेश और शोक दिवस का खुले आम उल्लंघन है।जबकि कैबिनेट में दिखावे का 07 दिन शोक दिवस घोषित किया गया है लेकिन अंदर ही अंदर कार्यक्रम कर पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि ना देकर उनका अपमान किया जा रहा है जो की बेहद निदनीय है,शहडोल जिले के बुढार वन परिक्षेत्र में हुए अनुभूति कार्यक्रम इसका उदाहरण है कि वन परिक्षेत्र बुढार रेंजर सलीम खान और उनकी टीम पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर शोक की जगह कार्यक्रम और मनोरंजन में व्यस्त है।
*_वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा अब तक नहीं की गई कार्यवाही_*
पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय डॉक्टर मनमोहन सिंह के निधन पर शुक्रवार को राष्ट्रीय शोक दिवस घोषित किया गया था जिसमें देश भर में किसी प्रकार के शासकीय और राजनीतिक कार्यक्रमों नहीं किए जाने थे लेकिन शहडोल जिले के बुढार वन परिक्षेत्र अंतर्गत पटना सर्किल में वन विभाग बुढार द्वारा राष्ट्रीय शोक दिवस के अवसर पर अनुभूति कार्यक्रम का आयोजन किया गया।जिसके बाद आज 03 दिन बीतने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई।तो क्या यह कहा जाए कि नियमों और आदेशों के उल्लंघन के लिए बुढार रेंजर सलीम खान को डीएफओ का पूरा संरक्षण प्राप्त है..?
*_बुढार रेंजर का गैर जिम्मेदाराना कार्य और व्यवहार_*
बुढार वन परिक्षेत्र के रेंजर सलीम खान द्वारा राष्ट्रीय शोक के अवसर पर अनुभूति कार्यक्रम का आयोजन गैर जिम्मेदाराना कार्य है,साथ ही एक जिम्मेदार राजपत्रित श्रेणी के अधिकारी को केंद्र सरकार के आदेश की जानकारी नहीं थी,या फिर जानबूझकर आयोजन किया गया..! अब कारण चाहे जो भी हो लेकिन बुढार रेंजर का यह गैर जिम्मेदाराना व्यवहार है।कुल मिलाकर राष्ट्रीय शोक पर केंद्र राज्य सरकार के आदेशों की अवहेलना की गई, वहीं पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि देने के बजाय शोक दिवस पर खेल और भाषण का आयोजन कर गरिमा पर सवाल उठा दिए।