( मनोज कुमार द्विवेदी, अनूपपुर- मप्र )
जम्मू – कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद और पिछले पच्चीस साल में पहली बार देश के भीतर सामूहिक नर संहार किया गया है। मंगलवार , 22 अप्रैल की दोपहर लगभग 3 बजे पहलगाम में लगभग 28 देशी / विदेशी पर्यटकों का धर्म आधारित सामूहिक नर संहार किया गया। आशंका है कि स्थानीय सपोर्ट से भारतीय सीमा के अन्दर पाकिस्तान से हथियारबंद आतंकवादी घुस आए। उन्होंने हफ्तों पहले रेकी की और हजारों पर्यटकों से गुलजार पहलगाम मे पर्यटकों से नाम पूछा, कलमा पढने को कहा , पैंट उतरवा कर पुष्टि की और इसके बाद पुरुषों के सिर में गोली मार कर हत्याएं कर दी। धर्म पूछकर हिन्दुओं का नर संहार पहले भी हुआ है। 370 हटाए जाने के बाद जम्मू – कश्मीर में सब कुछ बढिया है , वाले केन्द्र सरकार के दावे के बीच यह पहला इतना बड़ा हिन्दू नरसंहार हुआ है ।
नरसंहार का समय भी बहुत सोच विचार कर तय किया गया। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश दौरे पर थे। अमेरिका के उप राष्ट्रपति वेंस भारत प्रवास पर हैं । वक्फ कानून की गरमा गरमी के बीच देश को अराजक बनाने की पूरी कोशिश पश्चिम बंगाल से शुरु की जा चुकी है। मतलब सब कुछ योजनाबद्ध, पुख्ता तैयारी के साथ किया गया।
पहलगाम सामूहिक हत्याकांड की मीडिया में अलग – अलग रिपोर्ट्स, वीडियो सामने आने के बाद देश में लोगों का गुस्सा उबाल पर है। गृहमंत्री अमित शाह तत्काल देर रात कश्मीर पहुंचे और पहलगाम जा कर अवलोकन किया। घायलों से, मृतकों के परिजनों से मिले। अलग- अलग बैठकें कीं। वहीं प्रधानमंत्री ने अपना दौरा आधे में खतम कर दिया ,वापस भारत आ गये और हवाई अड्डे पर ही देर रात बैठक कर पूरी जानकारी ली।
*पहलगाम हमला, आतंकियों की तस्वीर जारी*
24 घंटे होते -होते पहलगाम आतंकी हमले में शामिल हमलावरों की तस्वीरें सामने आ गयी । 30-35 साल उम्र के, छोटी दाढ़ी-मूंछ वाले इन आतंकियों की तलाश में सुरक्षाबलों ने बड़ा सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है। लश्कर समर्थित टी आर एफ ( The Resistance Front ) ने हमले की जिम्मेदारी ली है । मामले की जांच एन आई ए कर रही है और जो प्रारंभिक संकेत मिले है, वो पाकिस्तान की ओर इशारा कर रहे हैं।
हिन्दुओं के सामूहिक नर संहार की घटना से लोगों का गुस्सा उबाल पर है। एक व्यक्ति ने सोशल मीडिया में तल्ख टिप्पणी करते हुए सवाल किया है कि क्या इनका नाम रहमान, अकबर, बाबर होता तो भी क्या तब भी तुम इन्हे गोली मार देते ….शायद हां । लेकिन पाकिस्तान या दुनिया के अन्य देश में। क्योंकि पाकिस्तान ,अफगानिस्तान सहित दुनिया के अन्य देशों की मस्जिदों में , स्कूलों में , अस्पतालों में तुमने बम फोड़े तो वहाँ कौन से हिन्दू या इसाई मारे गये थे ….मरने वाले सारे मुसलमान ही तो थे। अब चूंकि ये भारत का पहलगाम है और तुम्हे यहाँ के मुसलमानों को संदिग्ध साबित करके साम्प्रदायिक विद्वेश पैदा करना है। आदमी को आदमी से लडवाना है ।
*आईबी अधिकारी मनीष रंजन को नाम पूछकर मारी गोली*
हैदराबाद मे पदस्थ आईबी के अधिकारी मनीष रंजन को पहलगाम में इस्लामिक आतंकियों ने उनकी पत्नी और बच्चों के सामने हत्या कर दी।
आतंकियों ने पहले नाम पूछा, जैसे ही इन्होंने मनीष बताया,
वैसे ही आतंकियों में गोलियों से भून दिया। ये सब सुन कर खून खौल रहा है । उन राक्षसों पर नहीं….हमारे देश में खद्दर पहने गांधी दूतों पर ।जब सबको पता है कि देश में हर आतंकवादी हिन्दू नरसंहार के पीछे पाकिस्तान है तो उसका अस्तित्व अब तक शेष कैसे है । बांग्लादेश में लगातार हिन्दू नरसंहार हो रहा है और हम उनसे व्यापार कर रहे हैं। एक अन्य जागरुक युवक की पीडा है कि कश्मीर जाने वाले इनमें से किसी भी व्यक्ति ने अपने जीवन में कभी किसी का कुछ भी नहीं बिगाड़ा होगा। ये सभी लोग पर्यटन के माध्यम से देश के विकास में अपनी गाढी कमाई का मोटा हिस्सा कश्मीर यात्रा के माध्यम से अर्पित करने पहलगाम गये थे। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष कश्मीर गये 6 लाख पर्यटकों में से 5.5 लाख पर्यटक पहलगाम पहुंचे थे। इनसे कश्मीर के लोगों के घरों का चूल्हा जलता है और उनके परिवार पलते हैं । गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं कि वहां के लोकल सपोर्ट से इसके बावजूद निर्दोष पर्यटकों की हत्याएं की गयीं। भले ही ये पर्यटक सैनिक नहीं थे, इन्होंने देश को अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है। भारत सरकार इनकी शहादत बेकार ना जाने दे। भले देश इन्हे शहीद का दर्जा ना दे, इनके पीछे इनके परिवार की पूरी चिंता करें और भरण पोषण की व्यवस्था भी ना करें। लेकिन जवाब इतना तगड़ा हो कि सीमापार और देश के अन्दर बैठे इनके सहयोगी गद्दार फिर कोई इतनी और ऐसी जुर्रत ना करे।
*साबित हुआ कि आतंकवाद का धर्म है*
मीडिया रिपोर्ट्स और पीडितों के अनुसार आतंकवादियों ने पर्यटकों से उनका नाम पूछा, कलमा पढवाया
पैंट उतरवा कर पुष्टि की और उसके बाद केवल और केवल हिन्दुओं के सिर में गोली मार दी । पहलगाम हिन्दू नरसंहार ने साबित कर दिया कि आतंकवाद का धर्म होता है। इसके बाद लोग पूछ रहे हैं कि क्या भाई – चारा का प्रदर्शन करने के लिये देश की सभी मस्जिदों से , देश के सभी मौलवी, मौलाना, ओवैसी जैसे मुस्लिम नेता , मुस्लिम स्कालर्स पहलगाम हिन्दू नरसंहार की एक स्वर में कड़ी निंदा करेगें ? ओवैसी जैसे बहुत से मुस्लिम नेताओं , वरिष्ठ पत्रकारों और समाज की समझ रखने वालों ने निंदा की है। यह भी खबर है कि पर्यटकों को बचाते हुए पहलगाम का एक मुस्लिम गाईड आतंकवादियों से भिड गया। उन्हे भी गोली मार दी गयी। उस वक्त वहाँ चार – पांच हजार पर्यटक थे। स्थानीय मुस्लिम लोगों ने उन्हे बचाने की सफल कोशिश की है। ऐसी घटनाओं से थोड़ी राहत तो मिलती ही है।
*अब क्या*
जम्मू कश्मीर में शांति बहाली की सफल कोशिशें हो रही हैं । लाखों पर्यटकों की आवाजाही से यहाँ के लोगों को रोजगार मिल रहा है। व्यवसाय में उठाव होने से व्यापारी भी खुश हैं । स्कूल, कालेज , उद्योग आदि फिर खुलने लगे हैं। स्थानीय लोगों में आतंकवाद के खात्मे से खुशी है। विकास और जनकल्याण के बहुत से कार्य हो रहे हैं। पहलगाम नरसंहार विश्वास बहाली को बड़ा झटका है। पर्यटकों में कश्मीर में शांति और कानून व्यवस्था के प्रति भरोसा जगाना अब बड़ी चुनौती हो सकती है। पाक परस्त आतंकवाद पर नियंत्रण में कहां चूक हुई,इसकी जांच और फिर सुधार की आवश्यकता है। ऐसी घटनाए फिर कहीं ना हों , यह केन्द्र सरकार को सुनिश्चित करना होगा।
