APR न्यूज़ ,उप संपादक संपादक भूपेंद्र पटेल
अनूपपुर/दवाइयां, खुशबू, सौंदर्य प्रसाधन और खाद्य पदार्थों में पिपरमेंट का उपयोग होता है। अनूपपुर के चुकान गांव के किसान अब परंपरागत खेती से अलग खुशबू के रूप में पहचान रखने वाले इसी पिपरमेंट (मॅथा) की खेती कर रहे हैं जो लाभदायक व्यवसाय बन गई है।किसान कम लागत लगाकर ज्यादा मुनाफा देने वाली तीन महीने की सुगंधित फसल पिपरमेंट खेती की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं। चुकान गांव में की जा रही पिपरमेंट की खेती-जनपद पंचायत बदरा के चुकान गांव में वर्ष 2022 में किसान देवी दयाल कुशवाहा ने इस फसल की शुरुआत की। यहां लगभग 5 एकड़ में पिपरमेंट की खेती चार किसान मिलकर रहे हैं। यहां की जलवायु और काली मिट्टी इस फसल के लिए उपयुक्त साबित हो रही है। किसान देवीदयाल ने बताया कि गाजीपुर में उन्होंने इस फसल की जानकारी ली थी फिर वहां से बीज लाकर शुरुआत की जो सफल रहा। अन्य फसलों की तुलना में पिपरमेंट किसानों के लिए फायदेमंद है इसलिए अब किसान इस खेती से जुड़ने का रुझान दिखा रहे हैं।
पिपरमेंट फसल से तेल निकलता है:
इसके तेल का उपयोग विभिन्न द्रव्य एवं वस्तुओं के निर्माण में होता है। पुदीना की तरह दिखने वाले लगभग चार सेंटीमीटर वाले पिपरमेंट के पौधे की कटाई हो चुकी है और प्लांट में तेल निकाला जा रहा है। पिपरमेंट का पौधा पुदीना की तरह दिखता है और मिर्च के पौधे के बराबर इसकी ऊंचाई होती है। पिपरमेंट की खेती जनवरी और फरवरी माह के बीच लो जाती है। इसी दौरान पौधों की रोपाई की जाती है। बताया गया पहले जुताई कर खेत को समतल किया जाता है। गोबर खाद डालकर जमीन को बराबर कर दिया जाता है इसके बाद रोपाई का कार्य करने के बाद पानी दिया जाता है। 20 से 25 दिन के अंतराल में सिंचाई की जाती है ताकि नमी बनी रहे। इससे पौधों की ग्रोथ अच्छी होती है। जून माह के पहले सप्ताह पिपरमेंट की फसल पूरी तरह से तैयार हो जाती है इनमें कली आ जाती है फिर इनकी कटाई की जाती है।
सुगंध के कारण फसल से दूर रहते मवेशीः
पिपरमेंट की फसल से मवेशी दूर रहते हैं। पौधों की गंध ऐसी होती है कि मवेशी वहां से दूर चले जाते हैं इसलिए किसानों को फसल की सुरक्षा करने की चिंता नहीं रहती। पौधों के आसपास घास की निंदाई गुड़ाई करनी होती है जिससे कि पौधे में कोई कोट व्याधि का प्रकोप ना हो और पौधे से अच्छी पत्तियां निकले। इस फसल में पत्तियों का खास महत्व रहता है। इसी के रस से जो तेल निकलता है उसी की कीमत होती है। एक एकड़ में लगभग 50 से 60 किलो तेल निकल जाता है जो बाजार में 1 हजार लीटर के भाव से बिकता है। यह तेल बाजार में महंगा विकता है।
तेल निकालने का लगाया हुआ है प्लांटः
पिपरमेंट की खेती करने वाले किसान भारत और दया शंकर ने बताया कि जून माह में फसल जब तैयार हो जाती है तो काटने के बाद इसे सुखाया जाता है। पिपरमेंट फसल का तेल निकालने के लिए बड़े प्लांट यहां न होने के कारण पुराने मशीन खेत में लगाकर तेल खुद निकालते हैं। तेल निकालने का एक बायलर जैसा प्लांट किसानों ने लगाया है जिसमें नीचे 6 इंच तक पानी भरा रहता है फिर करीब एक ट्राली कटी हुई सूखी फसल डाल दी जाती है। नीचे आग लगाई जाती है पानी गर्म होकर खोलने लगता है। एक पाइप के जरिए दूसरे टंकी में निकला हुआ तेल पानी के साथ पहुंचता है और वहां पानी और तेल दोनों अलग हो जाते हैं जिसे फिर तेल को अलग करके रख लिया जाता है। किसानों ने बताया कि अल्मुनियम के बर्तन में तेल को रखा जाता है इसके बाद इलाहाबाद, गाजीपुर, चाकघाट जैसे क्षेत्र में जहां यह तेल खरीदा जाता है। वहां बेच दिया जाता है। पिपरमेंट की खेती के लिए अन्य किसान भी यहां प्रशिक्षण लेने पहुंच रहे हैं और कृषि विभाग भी क्षेत्र के अन्य किसानों को परंपरागत खेती के साथ इस सुगंधित फसल लेने के लिए प्रेरित कर रहे हैं जिससे किसान और समृद्धि हासिल कर सके।
